Monday 28 May 2012

15.

साकी ! कहनेवालों ने तो कह दी थी महंगी हाला

लेकिन पीने को आया था वह भी निर्धन मतवाला
जिसके घर में पकी न खिचरी, बच्चे भी भूखे हीं थे
ऐसे भी हैं पीनेवाले, ऐसी भी है मधुशाला.

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