Monday 21 May 2012

11.

मुझको क्यों ललकार रहे हो? खुलकर पीता हूँ हाला
उसका भी तो रोग जान लो, दस जनपथ की जो खाला
पुत्रमोह उसका किसके सिर पातक बन कर फूटेगा ?
भ्रष्ट आचरण जिसका उसकी जय-जय करती मधुशाला.

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