Thursday 17 May 2012

10.

सूरज साकी बन कर आता आसमान उल्टा प्याला
जन्म-जन्म की जिजीविषा हीं बनती है ऊर्जा- हाला.
शोक-मोह से दूर, न जाने इन्द्र-जाल का कौतुक क्यों
महामृत्यु के आँगन में हीं रच देती है मधुशाला.

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