बदल रहा बोतल का लेबल, बदल रही अंदर हाला, बदल रहा मंतव्य शब्द का, करवट लेती मधुबाला । "अच्छे दिन" की संरचना के ताने - बाने बुनते हम, दोमुंहे सापों से एक दिन मुक्त करेंगे मधुशाला।
पीनेवालों ने कब सोची मँहगी या सस्ती हाला, फटी जेब वालों को मिलता सब्सिडी वाला प्याला, वोटबैंक की राजनीति हो, साकी मस्कावाली हो, तो मरघट में भी रच जाती है मूर्खों की मधुशाला।।