Sunday 6 October 2013

39. तो मरघट में भी रच जाती है मूर्खों की मधुशाला

39.

पीनेवालों ने कब सोची मँहगी या सस्ती हाला,
फटी जेब वालों को मिलता सब्सिडी वाला प्याला,
वोटबैंक की राजनीति हो, साकी मस्कावाली हो,
तो मरघट में भी रच जाती है मूर्खों की मधुशाला।।

............... सरोज कुमार

 

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