Sunday 18 August 2013

38. इतनी कडवी पिला रही है फिर भी है वह मधुबाला

इतनी मँहगाई है फिर भी हम पीते जाते  हाला,
इतनी कडवी पिला रही है फिर भी है वह मधुबाला।

धंधे में हम हैं तो साकी टूट फूट तो होगी हीं,
मधुघट प्याले मदिरा का हीं कोलाहल यह मधुशाला।।

............... सरोज कुमार

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