Sunday 6 October 2013
Sunday 18 August 2013
38. इतनी कडवी पिला रही है फिर भी है वह मधुबाला
इतनी मँहगाई है फिर भी हम पीते जाते हाला,
इतनी कडवी पिला रही है फिर भी है वह मधुबाला।
धंधे में हम हैं तो साकी टूट फूट तो होगी हीं,
मधुघट प्याले मदिरा का हीं कोलाहल यह मधुशाला।।
............... सरोज कुमार
Tuesday 21 May 2013
37. कितनी आसानी से मुद्दे मोड़ रही है मुधुशाला
37.
साकी वे दिन कहाँ गए जब खाते थे कोयला काला ,
टू जी, थ्री जी, जीजाजी की हीं चर्चा थी धत साला।
अब तो बस श्री - संत महोत्सव हीं दिखलाई पड़ता है,
कितनी आसानी से मुद्दे मोड़ रही है मुधुशाला।।
Saturday 9 February 2013
36. अब प्रगल्भ होती दिखती है मधुशाला की मधुबाला
अब प्रगल्भ होती दिखती है मधुशाला की मधुबाला,
बचपन इसने काट दिया है प्याले में भरते हाला।
सोंचा था जो कुछ पीना हो प्याले में रखकर पीऊँ,
लेकिन अब तो सीधे - सीधे मुंह में आती मधुशाला।।
बचपन इसने काट दिया है प्याले में भरते हाला।
सोंचा था जो कुछ पीना हो प्याले में रखकर पीऊँ,
लेकिन अब तो सीधे - सीधे मुंह में आती मधुशाला।।
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