मधुशाला (नयी रुबाइयाँ ) MADHUSHALA (new rubaiyan)
Sunday 8 July 2012
20. सावन
सावन साकी बन कर आया आज पिलाने को हाला
बूँद-बूँद टपका कर भरता धनहर खेतों का प्याला
देख छटा मन - मोर नाचता, धरती की आशा जागी
पहले तरसाती है जीभर फिर हर्षाती मधुशाला.
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