योजना आयोग द्वारा गरीबी की परिभाषा गढ़ने के सन्दर्भ में -
छब्बीस रुपयों में बंट जाती गांवों में सस्ती हाला.
बत्तीस रुपयों में पा जाते शहरी जन भी, यह प्याला.
समृद्धि का नया ब्रांड, यह साकी लेकर आयी है,
मस्त रहें सब पीने वाले मस्त रहे यह मधुशाला.
............सरोज कुमार
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