Friday 14 December 2012

35. साकी मेरे बिन मदिरालय का आँगन खाली - खाली

जिसने तुमको सौंपा साकी मधुघट, प्याला, मृदु - हाला,
उसने हीं सौंपी  है मुझको चिरनवीन तृषा आला,
साकी मेरे बिन मदिरालय का आँगन खाली - खाली,
चाहे लाखों भीड़ जुटा ले झूठ - मूठ की मधुशाला।।


............... सरोज कुमार

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