30. परत - दर - परत अब खुलता जाता री साकी सब घोटाला
परत - दर - परत अब खुलता जाता री साकी सब घोटाला लेकिन वह बेशर्म चाल फिर चल देता कुत्तेवाला, मुद्दे नए- नए ले आता, बहस नयी छिड़ जाती है विस्मृति का अभिशाप युगों से ढोती है यह मधुशाला. ............... सरोज कुमार
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