Wednesday 26 September 2012

30. परत - दर - परत अब खुलता जाता री साकी सब घोटाला


परत - दर - परत अब खुलता जाता री साकी सब घोटाला
लेकिन वह बेशर्म चाल फिर चल देता कुत्तेवाला,
मुद्दे नए- नए ले आता, बहस नयी छिड़ जाती है
विस्मृति का अभिशाप युगों से ढोती है यह मधुशाला.
............... सरोज कुमार

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