Thursday 27 September 2012

31. भगत सिंह जैसों की तो फांसी का फंदा थी दुल्हन

मांग रहे हैं पीनेवाले आज शहादत की हाला
साकी का असमंजस यह कि उसमें भी है घोटाला,
भगत सिंह जैसों की तो फांसी का फंदा थी दुल्हन
लेकिन काले-धन को दुल्हन मान रही अब मधुशाला.
............... सरोज कुमार
 

Wednesday 26 September 2012

30. परत - दर - परत अब खुलता जाता री साकी सब घोटाला


परत - दर - परत अब खुलता जाता री साकी सब घोटाला
लेकिन वह बेशर्म चाल फिर चल देता कुत्तेवाला,
मुद्दे नए- नए ले आता, बहस नयी छिड़ जाती है
विस्मृति का अभिशाप युगों से ढोती है यह मधुशाला.
............... सरोज कुमार

29. किसका किसका चरण गहे यह पैरोडी कहनेवाला

किसका किसका चरण गहे यह पैरोडी कहनेवाला
मौलिकता का रोग लगा बैठा है हर पीनेवाला,
दुहराता इतिहास तो कविता नयी कहाँ से लाऊँ मैं,
जन्मा, जीया, मरा पुनः बस यही कथा है मधुशाला.
............... सरोज कुमार